झोपडी से आसमान तक का सफर, ऑटो रिक्शा चालक की बेटी एयर होस्टेस भावना खन्ना की ऊंची उड़ान

जिनके सपनों में उड़ान होती है वह उड़ ही जाते हैं। लगातार परिस्थितियां और मजबूरी कितनी भी दीवार खड़ी करती नहीं उन दीवारों को तोड़कर के जो आगे निकलता है वह सफलता पा ही लेता है। ऐसा ही एक उदाहरण है उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की रहने वाली भावना खन्ना। भावना खन्ना की बात करें तो वह उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक कॉलोनी में रहती थी। उनके पिता ऑटो ड्राइवर है। ऑटो रिक्शा चालक की बेटी होने के बाद भी भावना खन्ना ने फिल्मों में देख करके एयर होस्टेस बनने की ठान ली।

जब वह अपनी छत के ऊपर से हवाई जहाज को उड़ता हुआ देखती तो उन्हें लगता है कि एक दिन जरूर उड़ान भरेगी। भावना बताती है कि बचपन से उन्हें एयर होस्टेस बनने का मन था, हमेशा से एयरहोस्टेस बनना चाहती थी। फिल्म में देखकर, हवाई जहाज को उड़ता हुआ देखकर वह हमेशा सोचती कि वह भी एक दिन इसी तरीके से उड़ान भरेंगी। उनके पिता ऑटो रिक्शा चलाते थे, लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने मेहनत करनी कम नहीं की थी।

हवाई अड्डे पर सवारी से पता चली पूरी जानकारी

उनके पिता बताते हैं कि 1 दिन ऑटो रिक्शा एक सवारी एयरपोर्ट के लिए मिली। हवाई अड्डे पर उन्होंने उस सवारी को छोड़ते हुए पूछा कि एयर होस्टेस कौन होती है। कैसे होती है, मेरी बेटी एयरहोस्टेस बनना चाहती है। इसके बाद में पूरी जानकारी प्राप्त करने के बाद ऑटो रिक्शा चालक को थोड़ी सी तो झिझक हुई। उन्होंने अपनी बेटी को एयर होस्टेस बनने के लिए मना कर दिया। लेकिन फिर भी उनकी बेटी ने मेहनत के साथ इसके लिए आगे बढ़ना शुरू कर दिया। बेटी की जिद के आगे उनके पिता ने उन्हें एयर होस्टेस के लिए अप्लाई करने के लिए कहा।

बोर्ड की परीक्षा और इंटरव्यू साथ साथ

भावना खन्ना बताती हैं कि एक समय ऐसा आया कि उनके बोर्ड के एग्जाम और जॉब का इंटरव्यू एक साथ हो गया। भावना खन्ना ने पहले परीक्षा दी और फिर इंटरव्यू के लिए दिल्ली चली आई। भावना बताती है कि इंटरव्यू के लिए उन्होंने अपने दोस्तों से कपड़े मांग कर इंटरव्यू दिया था। भले ही भावना के पास संसाधनों की कमी थी, लेकिन उनके मन में जीवन में कुछ बड़े करने की इच्छा शुरू से थी। भावना बताती है कि उस इंटरव्यू के दौरान लगभग 16 बच्चे आए थे। जिसके बाद केवल 13 बच्चों को चयनित किया गया था।

मा ने उधार देकर चुकाई फीस

भावना बताती हैं कि उन्हें अगले कोर्स के लिए मुंबई जाना था, उस पूरे कोर्स की फीस 50 हजार रुपए थी। जिसके बाद उन्हें लगा कि वह एयर होस्टेस नहीं बन पाएंगी। लेकिन उनकी मां उनके लिए 50 हजार रुपए उधार लेकर आई और अपनी बेटी के सपने को पूरा करने के लिए बेटी को प्रोत्साहित किया। भावना खन्ना बताती हैं कि वह 50 हजार रुपए लेकर के मुंबई चली गई। कोर्स करने के बाद कोर्स की अवधि में 15 दिन की बढ़ोतरी हो गई। इसके बाद भावना खन्ना के पास पैसे खत्म हो गए और उनके पास रहने व खाने के लिए पैसे नहीं बचे थे। जिसके बाद उनके रिश्तेदार पनवेल की जेजे कॉलोनी यानी झुग्गी झोपड़ी कॉलोनी में रहा करते थे। उनके माता-पिता ने भावना खन्ना को रिश्तेदार के पास झोपड़ी में भेज दिया। भावना खन्ना झोपड़ी में रहते हुए ट्रेनिंग के लिए लगभग 3 घंटे का सफर तय करके जाती थी। उनकी पूरी मेहनत का नतीजा भावना के पक्ष में आया और एक समय ऐसा आया जब भावना खन्ना ऑटो रिक्शा चालक की बेटी एयर होस्टेस बन गई।

आज भावना इंडियन एयरलाइंस में अच्छे पद पर कार्यरत हैं। वह लगातार अपने सपनों की उड़ान हवाई जहाज के माध्यम से भर रही है।

भावना खन्ना की कहानी बताती है कि सपने देखने के लिए पूरा करने के लिए आपके पास आर्थिक मजबूती होना जरूरी नहीं है। सपनो को पूरा करने के लिए दिमाग की मजबूती की और मेहनत की जरूरत होती है।

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