विकलांगता को हराकर बन गई IAS ऑफिसर, जुनूनी महिला इरा सिंघल के संघर्ष की कहानी

आज हम आपको कहानी बताएंगे 2014 यूपीएससी की टॉपर इरा सिंघल की। इरा सिंघल आईएएस अफसर के साथ कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग कर चुकी हैं। अपने चौथे प्रयास में उन्होंने 2014 यूपीएससी की परीक्षा में टॉप किया था।

इरा सिंघल की बात करें तो उन्होंने सोफिया गर्ल्स स्कूल (Sofia Girls School) मेरठ (Meerut) से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की। इसके अलावा उन्होंने लोरियलटो कान्वेंट स्कूल दिल्ली (Delhi) और आर्मी पब्लिक स्कूल धौला कुआं से भी पढ़ाई की है। वहीं उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी दिल्ली विश्वविद्यालय से बीटेक और इसके बाद एफएमएस दिल्ली से एमबीए की पढ़ाई की है।

इरा सिंघल का जन्म 31 अगस्त 1983 को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मेरठ में हुआ था। उनके पिता का नाम राजेंद्र सिंघल और उनकी माता का नाम अनीता सिंघल है ।उनके पिता पेशे से इंजीनियर है और वही उनकी माता इंश्योरेंस एडवाइजर के तौर पर कार्य करती हैं।

जब हक के लिए जाना पड़ा कोर्ट

हम आपको बता दिए तो इरा को साल 2010 में आईआरएस पद के लिए चुना गया था। लेकिन इसके बाद सिलेक्शन कमिटी ने उन्हें अयोग्य करार दिया था। उन्हें अयोग्य करार देने के पीछे एक कारण बताया गया था कि वह किसी भी सामान को खींच नहीं सकती, उसे उठा नहीं सकती। फिर इसके बाद इरा ने वहां से सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव न्याय अधिकार के पास जाकर न्याय की गुहार लगाई और 4 साल बाद उनके पक्ष में फैसला आया था। इस दौरान इरा ने यूपीएससी की तैयारी करना नहीं छोड़ा और उन्होंने 1 साल तक स्पेनिश भाषा की भी पढ़ाई की।

इसके अलावा उन्होंने कैडबरी डेरी मिल्क कंपनी में भी उच्च पद पर रहकर नौकरी की थी। इसके अलावा कोको कोला कंपनी में भी उन्होंने काम किया और आईआरएस बनने के बाद उन्होंने उत्पाद एवं सीमा शुल्क विभाग में सहायक आयुक्त के तौर पर भी पद संभाला। लेकिन अब वह आईएएस बनकर देश की सेवा कर रही है।

चचरे भाई ने किया प्रेरित

इरा सिंघल बताती हैं कि उन्हें उनके चचेरे भाई ने उन्हें आईएएस बनने के लिए इंस्पायरर किया। जब वह कैडबरी डेयरी मिल्क कंपनी में नौकरी कर रही थी, तब उनके चचेरे भाई ने ही यूपीएससी परीक्षा के बारे में बताया। जब उन्हें आईआरएस पद के लिए सिलेक्शन कमेटी ने अयोग्य करार दिया था, तब भी उनके चचेरे भाई ने कहा कि उन्हें मेहनत करते रहना चाहिए।

चचेरे भाई के इंस्पिरेशन से ही वह प्रेरित हुई और आईएएस के लिए तैयारी करती रही। इरा सिंघल ने साल 2010, 2011, 2013, 2014 में यूपीएससी की परीक्षा को दिया। हर बार वह आईआरएस पद के लिए चुनी गई। साल 2014 में उन्हें आईएएस पद को पा लिया और यूपीएससी में 2025 में से 1082 अंक यानी 53.43 प्रतिशत अंक हासिल किए और यूपीएससी की टॉपर बनी। आज इरा खुश है कि कि उन्होंने अपने सपने को पूरा कर लिया है।

कई पदों पर संभाली है जिम्मेदारी

इरा सिंघल ने कई पदों पर जिम्मेदारियों को संभाला है। साल 2016 में वह असिस्टेंट कलेक्टर ट्रेनी के तौर पर काम कर चुकी है। इसके अलावा वह मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस एंड एंपावरमेंट, भारत सरकार के अंतर्गत डिसेबिलिटी डिपार्टमेंट में ब्रांड एंबेसडर के तौर पर भी काम कर चुकी है। वहीं नीति आयोग में भी उन्होंने काम किया है।

इसके अलावा इलेक्शन कमिशन में भी काम कर चुकी है। वही सीबीएससी में भी उन्होंने डिसेबिलिटी वाले बच्चों के लिए काम किया है। इरा ने 340 बच्चों को बाल मजदूरी से भी बचाया था और वह नार्थ दिल्ली डिस्ट्रिक्ट की एसडीएम के तौर पर भी काम कर चुकी है। वही वह देश की पहली अफसर बनी थी जिन्होंने एक ट्रांसजेंडर को सरकारी दफ्तर में नौकरी पर रखा था।

कई अवार्ड जीत चुकी है इरा, देती है यह संदेश 

इरा सिंघल को उनके एक बेहतरीन करियर के लिए कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है। इंडिया टुडे ने उन्हें 2015 में वूमेन ऑफ द ईयर के सम्मान से सम्मानित किया था। इसके अलावा उन्हें राष्ट्रपति से गोल्ड मेडल भी प्राप्त हुआ था,यह गोल्ड मेडल उन्हें आईएएस की परीक्षा में ट्रेनिंग के दौरान टॉप करने पर दिया गया था।

वह वह भारत सरकार के बाल विकास मंत्रालय से भी सम्मानित हो चुकी है। इसके अलावा इरा का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी आता है।

इरा करियर काउंसलिंग, शिक्षा, डिसेबिलिटी, जेंडर इश्यूज, स्किल डेवलपमेंट पर भी स्पीकर के तौर पर काम करती हैं। तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए संदेश देते हुए कहती है कि प्रिपरेशन के दौरान प्रेशर नहीं बनाना चाहिए। आराम से रिलैक्स रहकर मेहनत करते रहना चाहिए। सोच समझकर तैयारी करनी चाहिए ना कि रट्टा मारकर।

माइंड को फ्रेश रखने के लिए खेल खेलने भी जरूरी है। तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को टाइम टेबल बना कर, सोच समझकर तैयारी करनी चाहिए। अगर इन बातों का ध्यान रखेंगे तो आईएएस की परीक्षा को पास कर सकते हैं। वही वह खुद के लिए कहती है कि आईएएस की ड्यूटी पर पूरी तन्मयता और प्रतिबद्धता के साथ काम करना जरूरी है।

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