रिक्शे चालक के बेटे का लोगों ने उड़ाया मजाक, IAS अफसर बन हर किसी को दिया मुंहतोड़ जवाब

आज हम आपको एक ऐसे आईएएस अफसर की कहानी बताएंगे जिसे सुनकर शायद आप एक बार के लिए अचंभित हो जाएं लेकिन एक गरीब बाप के बेटे ने जब यूपीएससी परीक्षा को फतह किया तब हर कोई गर्व कर रहा था। दरअसल हम बात कर रहे हैं बनारस में रिक्शा चालक के बेटे गोविंद जायसवाल की जिन्होंने अपनी कामयाबी से साबित किया कि मेहनत से किसी भी चीज को बदला जा सकता है।

गरीबी में गुजरा जीवन

गोविंद जायसवाल की बचपन की बात करें तो उनके पिता रिक्शा चालक थे। उनके पिता के पास लगभग 30 के आसपास रिक्शे थे लेकिन अपने परिवार का पेट पालने के लिए उन्होंने रिक्शों को बेच दिया। इसके बाद अपनी बेटी की शादी करने के लिए भी उन्होंने बाकी रिक्शे भी बेच दिए। वह परिवार में वह केवल एक मात्र कमाने वाले सदस्य थे। रिक्शा चला कर के गोविंद के पिता पांच लोगों का परिवार संभालते थे।

पढ़ाई करते हुए लोगों ने मजाक बनाया

गोविंद के पिता ने अपने बच्चों को शिक्षा देने में कोई भी कमी नहीं आने दी थी, लेकिन जब लोग देखते थे कि बच्चे शिक्षा ले रहे हैं तब लोग उनका मजाक बनाते थे। लोग कहते थे कि आगे चलकर गोविंद को भी तो रिक्शा ही चलाना है क्यों इतना पढ़ाई करवा रहे हो।

इसके बाद गोविंद ने गांव के सरकारी स्कूल से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की और उन्होंने मॉडर्न कॉलेज से पढ़ाई की और बाद में दिल्ली आकर यूपीएससी की तैयारी करने का फैसला कर लिया।

बचपन में हुआ कुछ हुआ ऐसा जो दर्द दे गया

गोविंद जायसवाल बचपन में बनारस में एक दिन अपने किसी दोस्त के यहां चले गए थे। जिसके बाद उस दोस्त के पिता ने गोविंद को घर से बाहर निकालते हुए कहा कि तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे घर में आने की, तुम्हारे पिता रिक्शा चलाते हैं और तुम हमारे घर में आने लायक नहीं हो।

दिल्ली आकर तंगी में की यूपीएससी की तैयारी

गोविंद जयसवाल जब दिल्ली आकर यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे तब उनके पिता ने जमीन बेचकर उन्हें 40 हजार रुपए दिए थे लेकिन गोविंद को इस दौरान पैसे की कमी आती थी। पैसे बचाने के लिए गोविंद ने एक समय खाना कम कर दिया था। इसके बाद गोविंद का शरीर कमजोर हो गया था लेकिन गोविंद ने कभी भी हार नहीं मानी और लगातार मेहनत करते रहे। साल 2006 में उनकी मेहनत रंग ले आई और इस साल गोविंद ने परीक्षा को पास भी किया।

पहले प्रयास में बने आईएएस

गोविंद जयसवाल 2007 बैच के आईएएस अधिकारी है। केवल 22 साल की उम्र में उन्होंने अपने पहले प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल कर ली। गोविंद को 489वी रैंक मिली। गोविंद एपीजे अब्दुल कलाम और महात्मा गांधी से प्रेरणा लेते हैं। वह अब्दुल कलाम के द्वारा लिखी गई किताबों को भी पढ़ते हैं।

खुद का मकान खरीदा…लेकिन नहीं भूले किराए का मकान

गोविंद जायसवाल आज सरकारी महकमे में सेवा दे रहे हैं लेकिन इसके बावजूद भी वह अपने किराए का मकान नहीं भूले हैं। आपको बता दें कि साल 2012 में उन्होंने अपने परिवार के साथ एक मकान खरीदा लेकिन आज भी वह अपने किराए के मकान के लिए 1200 रूपए किराया भेजते हैं।

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