लेटे हुए हनुमान जी का अद्भुत और अनोखा मंदिर जिनकी गाथा सुन आप भी दांतों तले अंगुली दबा लेंगे

बुराई का अंत कर, भलाई का काम किया।
घर-घर में दी ऐसी दस्तक, सब ने उसका नाम लिया।
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दोस्तों नमस्कार।

दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसे चमत्कारिक, रहस्यमई हनुमान मंदिर में ले चलता हूं। जिन की गाथा सुनकर आप भी दांतों तले अंगुली दबा लेंगे। झलको उत्तर प्रदेश की अनु से बात करते हुए पातालपुरी हनुमान मंदिर के पुजारी जी ने बताया कि पातालपुरी हनुमान मंदिर (Patalpuri Hanuman Mandir) लखनऊ (Lucknow) में पक्का पुल के पास में स्थित है। इस मंदिर की स्थापना लगभग 170 वर्ष पहले हुई थी।

एक बार का जिक्र करते हुए पंडित जी ने बताया कि हनुमान जी महाराज ने अहिरावण का वध कर राम और लक्ष्मण को कंधे पर बैठा कर उनके चंगुल से छुड़ाया था। मकरध्वज और धाराधुंधी नामक ओरश पुत्रों ने हनुमान जी की सहायता की थी। हनुमानजी महाराज पाताल लोक में लेटी हुई अवस्था में ही गए थे, और आज भी उनकी प्रतिमा लेटी हुई अवस्था में ही है। मंदिर के पुजारी जी ने बताया की यह मूर्ति गोमती नदी में बहती हुई यहां पर आई थी। और मोनीबाबा (Monibaba) ने इसको यहां पर स्थापित किया था। सन उन्नीसौ पांच में मोनी बाबा ने इस मूर्ति की स्थापना की थी।

अहिरावण ने राम और लक्ष्मण को पाताल लोक में ले जाकर छुपा दिया था,तब मकरध्वज और धराधुंदी दोनों पहरे पर थे। उन्होंने हनुमान जी की सहायता कर राम और लक्ष्मण को अहिरावण को मारकर उसके चंगुल से छुड़ाया था। पंडित जी ने बताया की जब 2005 में मंदिर जीर्णोद्धार का काम शुरू हुआ तो गोमती नदी के पानी के बहाव के कारण 7 फुट जमीन में धंसी हुई हनुमानजी की मूर्ति निकली।

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जिस प्रकार सामान की लिस्ट बना रहे थे। उसी के अनुसार सामान की पूर्ति होती जा रही थी। सीमेंट की बात करते तो सीमेंट आ जाती। लोहे की बात करते तो लोहा आ जाता।जब इसकी खोजबीन की गई तो सामान भेजने वालों ने कहा कि हम को पैसा मिल रहा था और आर्डर मिल रहा था। अब कौन दे रहा था, यह हमको भी नहीं मालूम है।

रोटी कपड़ा बैंक की स्थापना।
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वहां के एक कार्यकर्ता ने बताया कि हमने 2016 में रोटी कपड़ा बैंक की स्थापना की थी। इस बैंक के द्वारा धनाढ्य लोगों से कपड़ों का संग्रह कर जरूरतमंदों को इसका वितरण किया जाता है। इसके अलावा पिछले चार महीने से अन्नपूर्णा योजना भी चलाई जा रही है, जिसके द्वारा रोजाना ढाई सौ से तीन सौ व्यक्तियों को निशुल्क भोजन कराया जाता है।उन्होंने बताया कि कोरोना काल में भी हमने इन योजनाओं पर बढ़-चढ़कर काम किया और लोगों का पूरा लाभ पहुंचाने का प्रयास किया।

अन्य।
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अनु ने गोमती नदी का दृश्य दिखाते हुए बताया कि इसी नदी के अंदर से विश्राम मुद्रा में कंधे पर बैठे हुए राम और लक्ष्मण तथा पैरों के पास में बैठे हुए दोनों पुत्रों की मूर्ति मिली थी। जिसको इस मंदिर के अंदर स्थापित किया गया ।

अपने विचार।
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रोम रोम में भक्ति जिसके,
जिसके नाम में विश्वास है।
जिसके मन में हो जज्बा ऐसा,
वो आज दुनिया में खास है।

विद्याधर तेतरवाल,
मोतीसर

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