लाखों की इंजीनियर की नौकरी छोड़ बन गया पोंडमैन ऑफ़ इंडिया, अब करता गंदे तालाबों को जिन्दा

स्वच्छ,सुंदर,सरल बनो,
तन मन निर्मल होय।
जो इनसे परहेज करें,
सब कुछ अपना खोय।

दोस्तों नमस्कार।

दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसे शख्स से रूबरू करवा रहा हूं। जो भारत में अपने काम की वजह से पॉन्डमैन (PondMan) के नाम से जाना जाता है। इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर एक सफाई कर्मचारी का काम करने वाले रामवीर तंवर (Ramveer Tanwar) ने अपने छोटे काम से पूरे भारत को चौंका दिया है। माननीय प्रधानमंत्री महोदय ने भी अपने मन की बात में इस काम का जिक्र किया है।

परिचय।
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ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) के छोटे से डाडा गांव (Dadha Village) के रहने वाले रामवीर तंवर ने बताया कि मैं पोंड मैन ऑफ इंडिया (PondMan Of India) के नाम से जाना जाता हूं। मेरा काम मरे हुए तालाबों को जिंदा करना है। मैं ग्रेटर नोएडा के चालीस से अधिक तालाबों को जिंदा कर चुका हूं।

आपके मन में ये विचार कैसे आया।
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आपने इंजीनियर की पढ़ाई की और उस नौकरी को छोड़ कर आपने इस काम को क्यों अपनाया का जवाब देते हुए रामवीर कहते हैं, कि इसके पीछे मेरी बचपन की कुछ यादें और जिम्मेदारियां जुड़ी हुई है। जब मैं सातवीं आठवीं क्लास में पढ़ता था, तब गाय-भैंसों को चराने के लिए जंगल में जाता था। जिन तालाबों में हम नहाते थे, जिनके पास बैठ कर होमवर्क करते और खेलते थे, आज वह तालाब डंपिंग यार्ड बन गए हैं। इसके लिए मैंने सोचा कि क्यों नहीं इसके लिए कुछ प्रयास किया जाए। चाहे मैं गिलहरी जितना ही प्रयास क्यों नहीं करूं, लेकिन मैंने प्रयास करने का सोचा। मैंने एनजीओ के साथ में, सरकारी एजेंसियों के साथ में, गांव वालों के साथ में मिलकर सब को साथ लेकर मैंने प्रयास किया।

मैं उस कार्य में पास हुआ और लगभग चालीस तालाबों को जिंदा करने में सफल हुए। उन्होंने कहा कि हमारी टीम को प्रधानमंत्री जी ने भी अपने मन की बात के अंदर शामिल कर प्रोत्साहित किया है। उसके बाद से हमने और जी जान से काम करना शुरू कर दिया है। हमारी टीम ने गांव गांव घर घर जाकर वर्षा के पानी पर और जल को किस तरह शुद्ध किया जाए, पर काम किया और हमारी टीम को मजबूत किया। इस कार्य को करने हेतु बहुत से वॉलिंटियर्स भी हमारे साथ में जुड़े। इस प्रकार उनके सहयोग से हमने प्रथम तालाब को साफ किया।

सबसे पहले हमने हमारे घर के पास में डाबरा गांव (Dabra Village) के एक तालाब के आसपास की सफाई की, और उसके बाद में उस तालाब को साफ किया। मुझे इस प्रकार इस कार्य को करने में बहुत इंटरेस्ट आना शुरू हुआ। तब मैंने जॉब छोड़ दी। इस प्रकार मेरा पहला काम हुआ। इस समय मैं बहुत सी एजेंसियों के साथ में कंसलटेंट का काम कर रहा हूं। उन्होंने बताया कि मेरी एक छोटी सी संस्था जिसका नाम है सी अर्थ, अब उस के माध्यम से हम यह कार्य कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि जैसे इस कार्य को करने हेतु पेड़ काटते हैं तो उनके रिप्लेसमेंट के लिए हमने छोटे-छोटे जंगल बनाना शुरू किया है। हमारे द्वारा तैयार किए गए जंगलों में 20 से 30 हजार वृक्ष है। जिनको हम 90% तक बड़ा करके ही दम लेते हैं। ऐसा हमारा अभियान है।

एक बार तो मुझे लगा कि नौकरी छोड़ के अच्छा नहीं किया लेकिन थोड़े दिन बाद में कंसल्टेंट्स के द्वारा पॉकेट मनी आनी शुरू हो गई। इसकी वजह से अब इस काम को अच्छी तरह कर रहा हूं।अब मुझे नौकरी छोड़ने का कोई मलाल नहीं है। आगे की योजना के बारे में उन्होंने बताया कि आज हम उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब राजस्थान में विभिन्न जगहों पर काम कर रहे हैं, और भविष्य में ऑल ओवर इंडिया में इसको फैलाने की योजना है।आपको इतनी पहचान मिलेगी इसके बारे में वह कहते हैं कि हम शुरु-शुरु में नाली साफ करते थे। जल चौपाल के विषय में चर्चा करते थे। जो बहुत छोटा काम था, इसलिए हमने शुरू में ऐसा कभी नहीं सोचा था कि हमारी इतनी पहचान हो जाएगी।

अपने विचार।
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काम कोई भी छोटा नहीं है,
हो अच्छा करने का जज्बा।
दुनियां हमारे काम को देखे,
तो आए काम में मजा।

विद्याधर तेतरवाल,
मोतीसर।

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