मुलायम सिंह को अटल बिहारी वाजपेयी ने क्यों बनाया था मुख्यमंत्री? जानिए BJP के इस उपकार की वजह

समाजवादी पार्टी के संस्थापक, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में हम और आप मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) को जानते हैं। जिन्होंने 1967 पहली बार विधानसभा सदस्य चुने जाने के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत। इसके बाद लगातार तीन बार दिसंबर 1989 से जनवरी 1991, दिसंबर 1993 से जून 1996 और अगस्त 2003 से 2007 उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री रहे। लेकिन लगातार तीन बार मुख्यमंत्री बने रहना और जनता के बीच अपनी लोकप्रियता को बनाए रखना कोई आसान बात नहीं ऐसे में कई बार समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने उन चुनौतियों से हार नहीं मानी और राजनीति में बिना पीछे मुड़े आगे बढ़ते रहे।

लेकिन जैसे-जैसे पार्टी पुरानी होने लगी और मुलायम सिंह यादव की लोकप्रियता कम होने लगी। ऐसे में सत्ता में काबिज रहना शायद मुलायम सिंह यादव के लिए मुश्किल था। समाजवादी पार्टी की इस मुश्किल दौर में जिस पार्टी ने मुलायम सिंह यादव का साथ दिया। उसके बारे में अधिकतर लोग नहीं जानते। आखिर मुलायम सिंह यादव को किस पार्टी का सहयोग मिला ?  कौन से नेता थे जिन्होंने 2003 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनाने में मुलायम सिंह यादव की मदद की ?

आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपको भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) की अटल बिहारी सरकार के दौरान समाजवादी पार्टी पर किए गए उस एहसान की कहानी बताने जा रहे हैं जिसे अधिकतर लोग नहीं जानते हैं। कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो भाजपा ने उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव को मुख्यमंत्री बनाया?

25 अगस्त 2003 यूपी की सियासत में सबसे बड़ा दिन

25 अगस्त 2003 यूपी की सियासत में सबसे बड़ा दिन। क्योंकि 25 दिसंबर 2003 से कुछ ही समय पहले उत्तर प्रदेश में सत्तासीन बसपा और भाजपा की सरकार का अंत होने जा रहा था। जानकारी के मुताबिक उस वक्त भाजपा दल के कई नेता भाजपा आलाकमान से कह रहे थे कि बसपा के कारण भाजपा का जनाधार कम होता जा रहा है। ऐसे में भाजपा और बसपा गठबंधन की सरकार को नहीं चलने देना चाहिए।

वही अटल बिहारी वाजपेयी खेमे के नेताओं का कहना था कि बसपा के साथ रहने से पिछड़ा वर्ग का समर्थन भाजपा के साथ है जिसका फायदा उन्हें 2004 में होने वाले लोकसभा चुनाव में होगा। लेकिन जब बसपा प्रमुख मायावती अति होने लगी तो, भाजपा ने मन बना लिया कि अब इस सरकार का अंत होना चाहिए।

लेकिन इससे पहले मायावती को इस बात की भनक लग गई और उन्होंने खुद ही 25 अगस्त को राज्यसभा (Rajya Sabha) के भंग होने की सिफारिश प्रदेश के मौजूदा राज्यपाल विष्णु कांत शास्त्री से कर दी। लेकिन इसके बावजूद मायावती को लगता था कि भाजपा एक बार फिर से बसपा के साथ गठबंधन करने की कोशिश करेगी और लोकसभा चुनाव तक उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति का शासन रहे।

लेकिन ऐसा कुछ नहीं भाजपा ने पलटवार करते हुए बसपा का सामना करने के लिए मायावती के जानी दुश्मन समाजवादी पार्टी अपना हथियार बनाया। हालांकि इस बीच मुलायम सिंह यादव की छवि धूमिल हो चुकी थी और अब वह पहले की तरह लोकप्रिय नहीं रह गए थे।

लेकिन सत्ता को चलाने के लिए जिस ताकत की जरूरत है वह मुलायम सिंह यादव को भाजपा की ओर मिली। और उन्होंने भाजपा के एक इशारे पर राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। लेकिन फिर भी समाजवादी पार्टी की सरकार बनने मुश्किल थी। क्योंकि उस वक्त मुलायम सिंह यादव के पास केवल 150 विधायक थे। लेकिन मुलायम सिंह के पास ऐसे तीन नेता थे।

जिनमें पहला नाम उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (Kalyan Singh), दूसरे चौधरी अजीत सिंह (Choudhary Ajit Singh) कहा जाता है कि चौधरी अजीत सिंह के पिता चौधरी चरणजीत सिंह (Choudhary Ranjeet Singh) ने मुलायम सिंह यादव को राजनीति सिखाई थी। हालांकि चौधरी अजीत सिंह और मुलायम सिंह के बीच काफी समय तक तकरार रही लेकिन कुछ समय बाद उन्हें समझ आ गया था कि अगर सत्ता का सुख भोगना है तो एक साथ आना जरूरी है। इसके बाद तीसरे नेता कांग्रेस के अध्यक्ष जगदंबिका पाल थे।

मुलायम सिंह के साथ ये तीनों नेता राज्यपाल के पास सरकार बनाने का दावा पेश करने पहुंचे। लेकिन अभी भी समर्थन में कमी थी। ऐसे में मौजूदा राज्यपाल विष्णु कांत शास्त्री ने कहा कि पहले आप 213 विधायकों की लिस्ट तो लाइए। ऐसे में मुलायम सिंह यादव को सरकार बनाने के लिए या तो बसपा में तोड़फोड़ करने की जरूरत थी या फिर भाजपा।

लेकिन मुलायम सिंह की इतनी ताकत नहीं थी कि वह भाजपा में तोड़फोड़ करें ऐसे में तोड़फोड़ हुई तो बसपा में और समाजवादी पार्टी की सरकार बनता देख बसपा 1 दर्जन से अधिक विधायक समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। हालांकि इसके बावजूद भी समाजवादी पार्टी की पूर्ण बहुमत नहीं था लेकिन दिल्ली में बैठी भाजपा सरकार के निर्देश पर उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी।

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