Bherupura Babaji Story: दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसी चमत्कार की कहानी सुना रहा हूं। जो सदियों से अब तक चली आ रही है। लगभग डेढ़ सौ वर्ष पहले की बात है कि भैरूपुरा गांव (Bherupura Village) में एक बाबा जी आए थे, जिनके मुख पर केवल गोविंद ,, गोविंद ,, का जाप हरदम रहता था। भैरूपुरा गांव धोद तहसील (Dhod Tehsil) में राजस्थान (Rajasthan) के सीकर (Sikar) जिले में पड़ता है।
Bherupura Babaji : उसी वर्ष बरसात का समय आया तो किसान अपने अपने खेतों को जोतने लगे। तो चारागाह नहीं होने के कारण गायों ने पलायन करना शुरू कर दिया। गांव के लोग बाबा जी के पास में गए और कहा कि हे महाराज राजा से कहकर गायों के चरने की उत्तम व्यवस्था करवाई जाए।
उसी समय सीकर नरेश फतेहपुर (Fatehpur) की तरफ जा रहे थे। तो रास्ते में उनको रोक कर चरागाह की व्यवस्था के बारे में बात की तो उन्होंने बात को अनसुना कर दिया। वापस आते समय फिर बात की तो उन्होंने बाबाजी का अनादर किया। रात को राजा को नींद नहीं आई। उथल-पुथल मच गई। सुबह अपने पहले दिन की घटना और रात को नींद न आने के कारण सहित बात को अपनी सभा के सामने रखा।
दूसरे दिन राजा ने भैरूपुरा गांव में सभी ग्राम वासियों के सामने बाबा जी से माफी मांगी और एक हजार बीघा जमीन चरागाह के लिए आवंटित की। बाबा जी (Bherupura Babaji) ने ग्राम वासियों को बहुत पर्चे दीए, और अंत में दो बातें बताई कि मैं आषाढ़ सुदी पूनम संवत 1922 को शरीर छोडूंगा। तो आप लोग मुझे जलाना मत, मेरे शरीर को गाड़ देना। लेकिन जब बाबा जी ने शरीर छोड़ा तो हिंदू संस्कृति के हिसाब से लोगों ने बाबा जी का दाह संस्कार कर दिया। आधा शरीर जलने के बाद में आकाशवाणी हुई कि आपने मेरी आधी ताकत तो खत्म कर दी, अभी भी मौका है मेरे शरीर को गाड़ दो।
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मरा बैल खड़ा हो गया,
यह बात बड़ी पुरानी है।
विश्वास में है शक्ति ऐसी,
ना मनगढ़ंत कहानी है।
उसके बाद में बाबा जी को समाधि दी गई। आकाशवाणी में तीन चीजें बताई कि होली (Holi) हर वर्ष गोधूलि बेला में ही मंगलाना। दूसरा गांव में कभी भी महामारी नहीं आएगी। तीसरा आग लगने पर एक घर ही जलेगा।
अपने विचार।
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चमत्कार को नमस्कार है,
यह सदियों पुरानी कहानी है।
कोई किसी को घास ना डालें।
जब तक याद नहीं आती नानी है।
विद्याधर तेतरवाल ,
मोतीसर।