सीकर के रहस्यमयी Bherupura Babaji की कहानी जिनकी जलती चिता के समय हुई थी आकाशवाणी
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सीकर के रहस्यमयी Bherupura Babaji की कहानी जिनकी जलती चिता के समय हुई थी आकाशवाणी

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Bherupura Babaji Story: दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसी चमत्कार की कहानी सुना रहा हूं। जो सदियों से अब तक चली आ रही है। लगभग डेढ़ सौ वर्ष पहले की बात है कि भैरूपुरा गांव (Bherupura Village) में एक बाबा जी आए थे, जिनके मुख पर केवल गोविंद ,, गोविंद ,, का जाप हरदम रहता था। भैरूपुरा गांव धोद तहसील (Dhod Tehsil) में राजस्थान (Rajasthan) के सीकर (Sikar) जिले में पड़ता है।

सन 1912 की घटना का जिक्र करते हुए वहां के ग्रामवासी ने खुशबू को बताया, कि सबलपुरा गांव (Sabalpura Village) में चौपाल पर बहुत से लोगों की भीड़ थी। उस समय एक बाबा जी वहां से गुजरे लेकिन किसी का ध्यान उनकी तरफ नहीं गया। पास में ही दूर एक बैल मरणावस्था में लेटा हुआ था, बाबाजी उसके पास में गए और अपने कमंडल से पानी लेकर छींटे देते हुए कहा कि, जा यहां क्यों बैठा है। अपने घर जा। बैल वहां से उठकर अपने घर चला गया।
थोड़ी देर बाद में चौपाल पर बैठे हुए लोगों का ध्यान उसकी तरफ गया तो बाबा जी को ढूंढने लगे। ढूंढते ढूंढते लोग गांव से दूर एक रेतीले टीले पर बैठे हुए बाबाजी के पास पहुंच गए। बाबाजी से तरह-तरह के तर्क करने लगे। अपनी-अपनी समस्याओं का बखान करने लगे। बैल के बारे में तरह तरह की बातें करने लगे आदि। उस स्थान पर गोविंद गोविंद की रट लगाने वाले बाबा जी की याद में गोविंद देव जी के विशाल मंदिर की स्थापना की गई। बाबाजी के बारे में बखान करते हुए उन्होंने बताया कि वह गौरवर्ण, पतली कद काठी के सफेद वस्त्र धारण किए हुए रहते थे। उनकी आंखों पर बड़े-बड़े भुवारे थे, जो आंखों को ढके हुए रखते थे। किसी भी नए व्यक्ति को देखने के लिए बाबाजी भुवारो को आंखों से अलग करते थे।

Bherupura Babaji : उसी वर्ष बरसात का समय आया तो किसान अपने अपने खेतों को जोतने लगे। तो चारागाह नहीं होने के कारण गायों ने पलायन करना शुरू कर दिया। गांव के लोग बाबा जी के पास में गए और कहा कि हे महाराज राजा से कहकर गायों के चरने की उत्तम व्यवस्था करवाई जाए।

उसी समय सीकर नरेश फतेहपुर (Fatehpur) की तरफ जा रहे थे। तो रास्ते में उनको रोक कर चरागाह की व्यवस्था के बारे में बात की तो उन्होंने बात को अनसुना कर दिया। वापस आते समय फिर बात की तो उन्होंने बाबाजी का अनादर किया। रात को राजा को नींद नहीं आई। उथल-पुथल मच गई। सुबह अपने पहले दिन की घटना और रात को नींद न आने के कारण सहित बात को अपनी सभा के सामने रखा।

दूसरे दिन राजा ने भैरूपुरा गांव में सभी ग्राम वासियों के सामने बाबा जी से माफी मांगी और एक हजार बीघा जमीन चरागाह के लिए आवंटित की। बाबा जी (Bherupura Babaji) ने ग्राम वासियों को बहुत पर्चे दीए, और अंत में दो बातें बताई कि मैं आषाढ़ सुदी पूनम संवत 1922 को शरीर छोडूंगा। तो आप लोग मुझे जलाना मत, मेरे शरीर को गाड़ देना। लेकिन जब बाबा जी ने शरीर छोड़ा तो हिंदू संस्कृति के हिसाब से लोगों ने बाबा जी का दाह संस्कार कर दिया। आधा शरीर जलने के बाद में आकाशवाणी हुई कि आपने मेरी आधी ताकत तो खत्म कर दी, अभी भी मौका है मेरे शरीर को गाड़ दो।

Watch Full Video Here : https://youtu.be/BIj8Ps1ILWE

मरा बैल खड़ा हो गया,
यह बात बड़ी पुरानी है।
विश्वास में है शक्ति ऐसी,
ना मनगढ़ंत कहानी है।

उसके बाद में बाबा जी को समाधि दी गई। आकाशवाणी में तीन चीजें बताई कि होली (Holi) हर वर्ष गोधूलि बेला में ही मंगलाना। दूसरा गांव में कभी भी महामारी नहीं आएगी। तीसरा आग लगने पर एक घर ही जलेगा।

अपने विचार।
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चमत्कार को नमस्कार है,
यह सदियों पुरानी कहानी है।
कोई किसी को घास ना डालें।
जब तक याद नहीं आती नानी है।

विद्याधर तेतरवाल ,
मोतीसर।

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