Tejaji Mandir : दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसे देव स्थान में ले चलता हूं। जिसकी महिमा के आगे 50 –50 कोस तक हर कोई अचंभित है। चूरू (Churu) जिले के लाछड़सर गांव (Lachharsar Village) में तेजाजी (Tejaji Mandir) के मंदिर की महिमा को सभी प्रणाम करते हैं। वहां पर दूर दूर के हर व्यक्ति नेता, विद्वान, अध्यापक, व्यापारी, किसान आदि सभी ने तेजाजी के मंदिर में अपनी आस्था प्रकट की है।
बलराम से बात करते हुए तेजाजी मंदिर (Tejaji Mandir) के पुजारी जी श्रीमान पूर्णमल जी ने बताया कि इस मंदिर की स्थापना को 13 वर्ष पूरे हो चुके हैं। मंदिर के नीचे ग्राम पंचायत की 13 बीघा जमीन में इसका निर्माण कार्य चल रहा है। सभी धर्म और जाति के ग्रामवासी तथा दूर-दूर तक के हर व्यक्ति का इसमें सहयोग है मान्यता है।
गांव के सहयोग से मंदिर का एक ट्रस्ट बनाया गया। उसी ट्रस्ट के अंदर आय और व्यय का पूरा हिसाब है।जो भी चढ़ावा आता है उससे यहां के काम करने वालों का खर्चा चल जाता है।
तेजाजी मंदिर (Tejaji Mandir) की विशेषता के बारे में बताते हुए पंडित जी कहते हैं कि यहां जो भी भक्त आता है उसका कष्ट कट जाता है। यहां पर कहां कहां से भक्त आते हैं, के जवाब में पंडित जी कहते हैं कि हरियाणा (Haryana), पंजाब (Punjab), उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), राजस्थान और दिल्ली (Delhi) से तो बहुतायत में आते हैं। इसके अलावा पूरे भारत (India) से दर्शनार्थी इसका लाभ उठाने के लिए आते हैं। तेजाजी का जन्म संवत 1130 में हुआ था और समाधि संवत 1160 में हुई थी। इससे ज्यादा का इतिहास मुझे मालूम नहीं है लेकिन उनकी पूजा और विश्वास आज घर-घर में है। इसके अलावा पंडित जी ने बताया की पूरे गांव का सहयोग और विश्वास मंदिर के साथ में है। वर्ष में 6 बार मेले लगते हैं और वैसे प्रतिदिन लोगों की भीड़ लगी ही रहती है।
प्रत्येक पंचमी, नवमी तथा तेरस के अलावा भाद्रबा सुदी नवमी व पूर्णिमा को तेजा जी महाराज के मेले लगते हैं एवम कार्तिक शुक्ल तेरस को मूर्ति स्थापना की जयंती पर मेला लगता है। मूर्ति स्थापना के दिन मेला भी लगता है और बड़ा भंडारा भी होता है। इस अवसर पर बड़े-बड़े नेता भी दर्शनार्थ को आए हुए हैं।
पंडित जी ने बताया कि तेजा जी को भाभी द्वारा दिया गया ताना तथा उसके बाद में ससुराल जाना और गुजरी की गाएं छुड़ाकर लाना। सर्प दंश तक की पूरी कहानी सुनाई और अंत में समाधि। तेजाजी महाराज (Tejaji Maharaj) ने वरदान दिया कि कोई भी मेरी चौखट से सांप का खाया हुआ खाली हाथ वापस नहीं जाएगा। उसी दिन से तेजाजी महाराज की चौखट पर सांप के खाए हुए का इलाज होता है।
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अपने विचार।
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तेजाजी का त्याग, उनकी चौखट पर आज भी है।
सर्पदंश से प्राण त्यागे, लेकिन आज उन पर राज भी है।
विद्याधर तेतरवाल ,
मोतीसर।