Retired Foji Farmer Story : दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसी शक्सियत से रूबरू करवा रहा हूं। जिसने फौज की नौकरी करने के बाद में पानी की कमी को देखते हुए शेखावाटी में एक अनूठा इतिहास रच दिया है। उसकी कामयाबी को देखकर आप भी दंग रह जाएंगे।
झुंझुनू (Jhunjhunu) जिले के उदयपुरवाटी (Udaipurwati) तहसील में टिटनवाड (Titanwad) के पास में महला की ढाणी (Mahla Ki Dhani) के रहने वाले रिटायर्ड फौजी (Retired Foji) माधाराम (Madharam) ने खुशबू से बात करते हुए बताया कि 22 साल फौज की नौकरी करने के बाद में जब मैं घर आया तो बहुत अच्छी फसल होती थी। लेकिन धीरे-धीरे पानी का स्तर गिरने लगा तो मैंने खेती में बदलाव करके दो पेड़ बील के लगाए। चार साल बाद में उन पेड़ों से मुझे ₹7000 की कमाई हुई।
गिरते पानी के स्तर को देखते हुए पूरे घर वालों ने एक साथ बैठकर चिंतन शिविर का आयोजन किया। सबने फलदार पेड़ लगाने की बात का समर्थन किया और आज हमारे पास में 20 बीघा में, 350 बील के,700 मौसमी , 80 आंवला के, 350 नींबू के, तथा 600 पपीता के तथा 50 अन्य वृक्ष है।
इस वर्ष ₹सात लाख बील से ले चुके हैं। जबकि आने वाली गर्मियों में प्रति पपीता के पेड़ से एक हजार रु मिलने का अनुमान है,तथा उनकी संख्या 600 है। सब पेड़ों पर आपने जो सफेद कपड़ा लगा रखा है वह क्यों लगा रखा है, के जवाब में वह कहते हैं कि इससे ऊपर की मुख्य कोंपल को सर्दी नहीं मारेगी, और वही पेड़ के लिए मुख्य है।
दादी ने खुशबू से बात करते हुए बताया कि बील, आंवला, संतरा, नींबू, पपीता, सब हम हमारे घर का ही खाते हैं। क्योंकि इन जैसा स्वाद दूसरे बाहर से आने वालों में नहीं है, यह शेखावाटी (Shekhawati) का मेवा है, और इससे हमारी ताकत को भी बढ़ावा मिलता है।
रिटायर्ड फौजी (Retired Foji) किसान (Farmer) ने बताया कि हर पेड़ के नीचे हम तरबूज, खरबूजा तथा सब्जियों की बेल लगा देते हैं। और उसके बाद में इनको ड्रिप से पानी लगता रहता है। जिससे नीचे दूसरी फसल भी होती है, और हर पौधे की नर्सरी भी हम घर पर ही तैयार करते हैं। उन्होंने बताया कि शुरुआत में बील और पपीता के ऑनलाइन बीज मंगवाए थे,और उन्हीं से नर्सरी तैयार करके निश्चित दूरी के अनुसार पेड़ लगाए थे।
अब खाद भी हम घर पर ही तैयार करते हैं। केचुआ खाद को विधिवत तैयार कर प्रत्येक पेड़ को उसकी आवश्यकता के अनुसार देते हैं। उन्होंने पेड़ों से 10 –12 लाख रुपया मुनाफा होने का अनुमान बताया है। आप की पेंशन आती है आपको आराम करना चाहिए, के जवाब में वह कहते हैं कि जब मैं फौज में था,। तब भी पेड़ पौधों के प्रति मेरा प्रेम था। और आज भी पर्यावरण के संरक्षण हेतु मेरा पहला कर्तव्य है कि मां धरा को मैं हरा-भरा रखकर लोगों के लिए कुछ कर सकूं।
Watch Full Video Here : https://www.youtube.com/watch?v=8nREog06H9I
अपने विचार।
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पर्यावरण, परमधाम है,
इसका है ना कोई तोड़।
जीवन अपना सुधर जाएगा,
इससे जुड़ सको तो जोड़।
विद्याधर तेतरवाल,
मोतीसर।